रिपोर्टर-सुरेश कुमार यादव
जांजगीर चाम्पा--जांजगीर जिला कृषि प्रधान जिला होने के कारण हसदेव परियोजना के चलते सिंचाई की पर्याप्त सुविधा है।छत्तीसगढ़ शासन की ड्रीम प्रोजेक्ट योजना नरवा, गरवा, घुरूवा, बाड़ी दोहरा रिस्पॉन्स मिलना था पर अधिकांश जगहों पर इस योजना की दुर्दशा बनी हुई है।यह योजना केवल कागजो पर ही क्रियान्वयन हो रही है।अधिकारियों,ग्राम पंचायतो और गोठान समिति ने इस योजना में लूट मचा रखी है।
बलौदा ब्लाक के ग्राम पंचायत कोसमन्दा की गोठान में भी भ्रष्टाचार खुलेआम दिखाई दे रही है।शासन की लाखों रूपये खर्च कर गोठान तो बना दिया गया है पर वह भी सुविधा विहीन। गांव से बाहर 3-4किलोमीटर की दूरी पर इसका निर्माण तत्कालीन सरपंच द्वारा कराया गया है।न तो पहुँच मार्ग बन पाया है और नही बिजली,पानी की सुविधा है।
छेका रोक बे असर,किसानों को अपनी फसल बचने की चिंता।
कोसमन्दा के जनप्रतिनिधियों व गोठान समूह की उदासीनता के वजह से छेका रोका बेअसर दिख रहा है। खेतो में रोपा जगाई व निदाई का समय फिर भी जानवर खुले में घूम रहे है।अब किसानों को अपनी फसल बचाने की चिंता दिख रही है। आवारा पशु तो खुले में घूम ही रहे है उसको देखा देखी जानवर मालिक भी अपने जानवरो को बांध कर नही रख रहे है।ऐसी ही स्थिति रही तो दो-चार वर्षों में खेती करने वाले कोई नही तैयार होगा।
गोठान में हर वर्ष पैरा के लिये लाखो का गबन
कोसमन्दा के गोठान में आवारा पशुओं के चारा के लिये ग्राम पंचायत द्वारा व गोठान समिति द्वारा अलग-अलग पैसा निकाला गया है। जबकि कोई भी वर्ष एक भी जानवर गोठान में नही रखा गया है। इन पैसों से जानवरों के भरने के बजाय अपनी पेट भर रहे है। गोबर खरीदी में भी लोचा दिख रही है गोठान में एक भी जानवर नही होने के कारण गोबर की खरीदी की खाना पूर्ति डेयरी फार्म वालो से खरीद कर किया जा रहा है।