जशपुर जिले के फरसाबहार (तमामुंडा) में आंगनबाड़ी केंद्र सुचारू रूप से संचालित है जिसमें बच्चों की दर्ज संख्या 3 से 5 वर्ष 10 है, 6 माह से 3 वर्ष तक के बच्चों की संख्या 16 है, गर्भवती महिलाओं की संख्या 8 है, और शिशुवती महिला 2 हैं,इस आंगनवाड़ी केंद्र में जाहिर है कि पोषण आहार का वितरण गर्भवती महिलाओं के लिए होता होगा, सरकार के प्रयास और मेहनत से आज कुपोषण से ग्रसित बच्चों का जन्म लगभग खत्म हो चुका है, इसका सारा श्रेय सुपोषण को जाता है, इसी तारतम्य को मद्देनजर नजर रखते हुए शासन ने बच्चों का पेट में रहने से लेकर जमीन में कदम रखने तक और जब तक कि बच्चा अपने हाथ से निवाला खाने लायक ना हो जाए तब तक का सु पोषण आहार का इंतजाम किया है, इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए शासन ने पोषण वाटिका अभियान का शुभारंभ किया है, इस अभियान के तहत प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्र पर पर्याप्त भूमि पर पोषण वाटिका का निर्माण होना बताया गया है, पोषण वाटिका का शाब्दिक अर्थ आंगनबाड़ी केंद्र
के समीपस्थ भूमि पर फलदार पेड़, हरी- साग- सब्जी, गाजर -मूली पपीता जैसे पौधों व सब्जियों की खेती कर बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए संतुलित आहार की व्यवस्था की जा सके।
विडंबना है कि फरसाबहार तमामुंडा में स्थित आंगनबाड़ी केंद्र में पर्याप्त सरकारी भूमि है, जिसको पोषण वाटिका का रूप दिया जा सकता है, लेकिन वर्तमान में उक्त स्थान पर तमामुंडा निवासी केशव नारायण पिता सुखपाल के द्वारा कब्जा कर उस पर कांटो व झाड़- झंकार से घेराबंदी किया हुआ है, छोटे-छोटे बच्चों के खेलने वह मनोरंजन के लिए भी जगह नहीं है, इस पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बेरनादेत टोप्पो ने न्यायालय श्रीमान तहसीलदार फरसाबहार को ज्ञापन देकर कब्जा हटवाने की मांग की है, स्थानीय लोगों के द्वारा भी उक्त सरकारी जमीन को अवैध कब्जा से मुक्त कराने के लिए प्रयास जारी है, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के निवेदन को स्वीकार करते हुए न्यायालय तहसीलदार फरसाबहार ने हल्का पटवारी को खसरा नंबर 1133 रकबा 0.6480हेकटर भूमि के स्थल जांच कर पेशी तारीख 18 /7/22 के पूर्व प्रतिवेदन न्यायालय में प्रस्तुत करने हेतु निर्देशित किया है।
रिपोर्टर खुलेश्वर यादव