छत्तीसगढ़ बलरामपुर जिले में आने वाले वाड्रफनगर से लगभग 60 किलोमीटर के दूरी में रकस गंडा नामक एक स्थान है जिसका कई वेदों में उसी स्थान का लोगों ने माना गया है यहां 1 जनवरी से 15 जनवरी तक जबरदस्त मेला का लगता है और हजारों लाखो की भीड़ उमड़ पड़ती है।
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यहां देखने आने वाले से अनुरोध है की सावधानी से आए क्योंकि यह जगह घटनाएं होती रहती हैं जब कि स्थानीय लोगों से बात की कोशिश किए तत्पश्चात कुछ लोगों ने जानकारी बताएं कई वर्ष पहले भगवान श्री राम एवं माता जानकी एवं साथ में लक्ष्मण हनुमान के साथ वन में वनवास करते समय भ्रमण के दौरान चित्रकूट से गंगा नासिक गोदावरी गुजरते हुए उसी दौरान रेड़ नदी रकस गंडा जलप्रपात के नामों से क्षेत्रों के लोगों अंदाजा लगाया जा रहा है तत्पश्चात से लेकर आज तक उसी स्थान में काफी लोगों इसी स्थल में लोगों देखने के लिए रोजाना आते हैं।
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वनवास काल के समय भगवान श्री रामचंद्र एवं सीता का चरण चिन्ह एवं सीता तलैया में सीता स्नान की थी उस पानी का रंग गर्मी में मटमैला रहता है और बरसात में साफ होजाता है पूरे नदी का पानी जब लाल होता है उस कुंड में स्नान करने से मोक्ष को प्राप्त होते हैं ।
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स्थानीय ग्रामीणों को जानकारी मिलने के अनुसार लोगों कहना है कि वहां पर कुछ लोगों का अवशेष अभी भी दिखाई देता है उनका पांव जहां बैठे थे वहां उसी स्थान पर कुछ अवशेष भी दिखाई देते है रकस गंडा जलप्रपात एक मनुष्य राक्षस नुमा बहुत विशाल गहरा दिखाई देता है जिससे उनकी गहराई पता करने के लिए कई लोगों ने नाप चुके हैं फिलहाल उसकी गहराई तक नापी नहीं गई है यहां हुकारी नाम का एक स्थान है जिसमें एक बार आवाज लगाने से कई बार आवाज सुनाई देता है
बलरामपुर ब्यूरो अर्जुन प्रसाद गुप्ता