रसोइया संघ की हड़ताल से स्कूलों में नहीं मिल रहा बच्चों को भोजन, 3 सूत्रीय मांगों को लेकर रसोईया संघ हड़ताल पर, नहीं पड़ रही शासन की इन पर नजर... पढ़िए पूरी खबर - Chhattisgarhkimunaadi.com

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शुक्रवार, 23 सितंबर 2022

रसोइया संघ की हड़ताल से स्कूलों में नहीं मिल रहा बच्चों को भोजन, 3 सूत्रीय मांगों को लेकर रसोईया संघ हड़ताल पर, नहीं पड़ रही शासन की इन पर नजर... पढ़िए पूरी खबर

 


रिपोर्टर खुलेश्वर यादव

 छत्तीसगढ़ रसोईया संघ की हड़ताल में होने से स्कूलों में बच्चों को खाना नहीं परोसा जा रहा है विकासखंड फरसाबहार छत्तीसगढ़ के रसोईया कर्मचारी संघ पिछले 4 सितंबर से हड़ताल में डटे हैं, लेकिन अभी तक उन्हें शासन ने कोई राहत वाली समझौता नहीं किया है, इस तरह लाखों की संख्या में रसोइयों का एक साथ हड़ताल पर डटे रहने से सरकारी स्कूलों में बच्चों को "मिड डे मील" के तहत दी जाने वाली मध्यान भोजन की व्यवस्था पूरी तरह डगमगा गई है, संभाग की कई अंदरूनी क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों में बच्चों को मध्यान्ह भोजन मिलना दूभर हो गया है, स्कूल जाने वाले कई बच्चे ऐसे भी होंगे जो सिर्फ इस उम्मीद से भी जाते होंगे कि उन्हें दोपहर को खाना मिलेगा मगर ऐसा नहीं होता और उन्हें खाना नसीब नहीं होता।


    ₹50 रुपए की दर से काम करने वाले यह रसोईया उसी ₹50 रुपए में अपने और अपने परिवार का पालन पोषण भी करते हैं, यह रसोईया कही गांव में मजदूरी करने भी नहीं जा सकते क्योंकि उन्हें खाना बनाने के लिए लकड़ी भी जुगाड़ करनी होती है, कई स्कूलों में गैस सिलेंडर भी उपलब्ध नहीं है इस स्थिति में खासकर बरसात में लकड़ी नहीं जलते उन्हें बार-बार हवा देना पड़ता है, और उस से निकलती हुई धुआं उनके फेफड़ों को हानि भी पहुचाती है, तब जाकर बनता है खाना, इतने कष्ट झेलने के बावजूद शासन इन्हें देती है, मात्र ₹50 रुपए। आजकल की महंगाई के इस जमाने में ₹50 रुपए  कोई अहमियत नहीं रखती लेकिन फिर भी रसोईया कर्मचारी संघ इस आस में है कि शासन आज नहीं तो कल उनकी लगन और मेहनत को देखते हुए उनकी मेहनताना जरूर प्रदान करेगा, मगर शासन की इस खामोशी ने इन रसोइयों को अपने दर्द और तड़प को उजागर करने के लिए मजबूर कर दिया, छत्तीसगढ़ के रसोईया संघ आज एक साथ एक ही आवाज में हल्ला बोल दिए हैं, और अपने 3 सूत्रीय मांगों को लेकर अपने साथ हो रही ज्यादादती शासन को दिखाना चाहते हैं, शासन की एक नजर कि आस लिए यह रसोईया केवल कलेक्टर दर की मांग बेवजह निकासी और नियमित कार्य की मांग कर रहे हैं, और सरकार तमाशे की भांति इनकी तडफ को खामोशी से देख रहा है या जानबूझकर इन से मुंह मोड़ रहा है।

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