रिपोर्टर खुलेश्वर यादव
फरसाबहार (जशपुर) छत्तीसगढ़ सरपंच संघ रणभूमि याने धरना प्रदर्शन पर उतरने से पहले शांति का संदेश छत्तीसगढ़ राज्य के सारथी (संचालक) मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नाम निवेदन भेजा था कि छत्तीसगढ़ के तमाम सरपंचों की मांग अति शीघ्र पूरा किया जाए, संघ ने लिखा है कि राज्य में आपके नेतृत्व वाली सरकार में सरपंचों ने सरकार के निर्देशों और योजनाओं को छत्तीसगढ़ की सर जमीं पर आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, और निभाते आ रहे हैं,
सरपंच संघ ने छत्तीसगढ़ राज्य की बागडोर संभालने वाले बघेल को शांति का पहला संदेश - सरपंचों का मानदेय 2000 से 20000 और पंचों का 500 से 5000 रुपए की वृद्धि की जाये। दूसरा - सरपंचों को 10000 आजीवन पेंशन दिया जाए। तीसरा - 5000000 राशि तक के सभी कार्य में कार्य एजेंसी पंचायत को ही बनाया जाए। चौथा- सरपंच निधि के रूप में राज्य सरकार के द्वारा प्रत्येक पंचायत को प्रतिवर्ष ₹1000000 दिया जाए। पांचवा नक्सलियों द्वारा सरपंच के मारे जाने पर 2000000 रुपए मुआवजा राशि एवं परिवार के एक सदस्य को नौकरी दिया जाए। छठवां- 15 वां वित्त आयोग अनुदान राशि केवल उसी ग्रामपंचायत के लिए होना चाहिए। सातवां - 15 वां वित्त आयोग के राशि को अन्य योजनाओं के निर्माण कार्य में अभिसरण नहीं किया जाना चाहिए। आठवां- नरेगा सामग्री राशि हर 3 महीने के अंदर में भुगतान होना चाहिए। नौवां- नरेगा निर्माण कार्य प्रारंभ करने के लिए 40% अग्रिम राशि प्रदान किया जाना चाहिए। दसवां - छत्तीसगढ़ सरपंचों का कार्यकाल को कोरोना महामारी के कारण सरपंचों का कार्यकाल में 2 वर्ष की वृद्धि किया जावे। 11वां - प्रधानमंत्री आवास ग्रामीण योजना अंतर्गत आवास की राशि को महंगाई दर को देखते हुए ₹200000 रुपए वृद्धि करने की कृपा की जावे। बारहवां - अविश्वास प्रस्ताव में संशोधन कर जनता के हाथों में दिया जाना चाहिए। 13 वां -अंतिम शर्त, धारा 40 में तत्काल संशोधन किया जाना चाहिए।
उक्त संपूर्ण बिंदुओं पर सरपंच संघ ने शासन को सोचने के लिए 10 दिन का अवसर भी दिया, मगर राज्य सरकार की खामोशी ने सभी जनप्रतिनिधियों को काम बंद कलम बंद जैसे शस्त्र (हथकंडा) अपनाने पर विवश कर दिया। नतीजतन अभी तक शासन ने कुछ नहीं कहा है, सरकार की इस चुप्पी को देखकर संघ ने युद्ध का शंख बजा दिया है।
हड़ताल की इस प्रदर्शन से आम नागरिकों में बहुत सारी समस्यायें आन पड़ी है, कभी कोरोना महामारी ने समय लिया, अब हड़ताल समय ले रहा है, यह समय कब ठहरता है, यह तो समय ही बताएगा। मगर इतना जरूर है कि विकास कार्य नामक रोबोट जो गांव- गांव गली- गली में रहता था, अब उसका रिमोट कंट्रोल उस शख्स के पास है जिसके दरवाजे को छत्तीसगढ़ का हर सरपंच खटखटा रहा है।